“पॉल –एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग १/८)
यह एक वास्विक घटनाओ से प्रेरित परन्तु काल्पनिक कहानी है। तस्वीरें केवल प्रस्तुतीकरण हेतु हैं और उनमें दर्शाए गए लोगों का कथा से कोई संबंध नहीं है। प्रस्तुत है कथा का पहला भाग: रोज की तरह आज भी...
View Article“पॉल –एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग २/८)
कहानी ‘पॉल एक गाथा’ की पहली किश्त यहाँ पढ़ें। प्रस्तुत है भाग २: डॉक्टर के आने के बाद मैं उनके पीछे-पीछे राउंड पर था। वो हर एक मरीज़ के पास रुककर उससे बात करते थे। अपने साथ आये रेसिडन्स डॉक्टरों के साथ...
View Article“पॉल –एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग ३/८)
कहानी ‘पॉल एक गाथा की पिछली कड़ियाँ यहाँ पढ़ें: भाग १ | भाग २ | प्रस्तुत है भाग ३: उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कराते हुए अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैंने भी उसका हाथ पकड़कर उसके पास बैठ गया। वह अभी भी...
View Article“पॉल –एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग ४/८)
कहानी ‘पॉल एक गाथा की पिछली कड़ियाँ यहाँ पढ़ें: भाग १ | भाग २ | भाग ३ | प्रस्तुत है भाग ४: उसने बताया कि पॉल सेकंड इयर का स्टूडेंट था। कॉलेज में ही स्थित होस्टल में रहता था। वह बहुत टैलेंटेड लड़का है, इधर...
View Article“पॉल –एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग ५/८)
कहानी ‘पॉल एक गाथा की पिछली कड़ियाँ यहाँ पढ़ें: भाग १ | भाग २ | भाग ३ | भाग ४ | प्रस्तुत है भाग ५: इतना सुनकर इंस्पेक्टर थोडा ठंडा पड़ गया। और डॉक्टर से कहा, “सर… प्लीज आगे रिपोर्ट मत करना। आगे से ऐसा कतई...
View Article“पॉल –एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग ६/८)
शाम को ड्यूटी ख़तम होने के बाद मैं पॉल के वार्ड में गया। वो अभी भी सो रहा था। दवाई का असर था। मैं उसके पास बैठा था। तभी उस वार्ड के कम्पाउंडर ने मुझे आकर कहा: “भैया, आज डॉक्टर इस के लिए शॉक थेरपी लिख कर...
View Article“पॉल –एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग ७/८)
यह एक वास्विक घटनाओ से प्रेरित परन्तु काल्पनिक कहानी है। तस्वीरें केवल प्रस्तुतीकरण हेतु हैं और उनमें दर्शाए गए लोगों का कथा से कोई संबंध नहीं है। इस कहानी की पिछली कड़ियाँ यहाँ पढ़ें: भाग १ | भाग २ |...
View Article“पॉल –एक गाथा” – श्रृंखलाबद्ध कहानी (भाग ८/८)
यह एक वास्विक घटनाओ से प्रेरित परन्तु काल्पनिक कहानी है। तस्वीरें केवल प्रस्तुतीकरण हेतु हैं उनमें दर्शाए गए लोगों का कथा से कोई संबंध नहीं है। इस कहानी की पिछली कड़ियाँ यहाँ पढ़ें: भाग १ | भाग २ | भाग...
View Article“वापसी” एक शृंखलाबद्ध कहानी (भाग १/२)
एक सपना हर रात आता है। अँधेरा-सा कॉरिडोर है। कोने पर लिफ्ट है। गरदन झुकाये मैं चला जा रहा हूँ। आवाज़ आती है। “एक ही प्रेस करना, ज़ीरो नहीं।” कोई चेहरा नहीं। बस आवाज़। अरसा गुज़र चूका है, पर कुछ है जो...
View Article“वापसी” एक शृंखलाबद्ध कहानी (भाग २/२)
कहानी की पहली किश्त यहाँ पढ़ें। उसका घर, घर जैसा था। फिर बातें हुई, बहुत-सी बातें, कुछ जरुरी थी, कुछ ग़ैर-जरुरी, कुछ याद हैं, बहुत-सी नहीं भी। उन बातो का सार यही था कि उसका नाम मधेश है, जिसका मतलब होता...
View Article